Aaj tu te mein Te tanhaai Saambhle adiye mooka he a. ---------- Jaisa marzi aaj tu karle Aaj toh aghe Aukha he a. --------- Rukna nahi mein J naa rookey Aj jazbaat anokha he a. -------------- Baaki gal tere te chadi Onj tere valo aukha he a ------------ Rajan nu Paa goli chali Tood naa jaavi Bharosa he a ------------ Tera kehna Jaake ayi Auna kehda Sokha he a. ?????????? Chad gal Dekh umar nang chali Ishq da dard anokha he a -------------------- Nissing wala Likhda gaunda Bhambeya waqt Nange da ki a. --------------- Rukja bhambeya hor na likh tu Hun , naam kalam te Ohda he a. ----------- Tera kehna Jaake ayi Auna kehda Sokha he a.
बंदी छोड़ दिवस सिख इतिहास का एक गौरवपूर्ण अध्याय है, जो गुरु हरगोबिंद साहिब जी की न्यायप्रियता, वीरता और करुणा को दर्शाता है। यह दिवस 16 अक्टूबर 1619 को घटित उस घटना की स्मृति में मनाया जाता है जब गुरु जी ने ग्वालियर किले से न केवल स्वयं को बल्कि 52 हिंदू राजाओं को भी मुक्त कराया था। 🛡️ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि - गुरु हरगोबिंद जी का जन्म 19 जून 1595 को गुरु अर्जन देव जी और माता गंगा जी के घर हुआ था। - उन्होंने मीरी और पीरी की परंपरा शुरू की—धार्मिक और सांसारिक शक्ति का संतुलन। - गुरु अर्जन देव जी की शहादत के बाद, गुरु हरगोबिंद जी ने सिखों को आत्मरक्षा और युद्धकला में प्रशिक्षित करना शुरू किया। 🏰 ग्वालियर किले में कैद - मुगल सम्राट जहांगीर ने गुरु जी को ग्वालियर किले में कैद कर लिया, जहाँ पहले से 52 हिंदू राजा बंदी थे। - गुरु जी ने अपनी रिहाई की शर्त रखी: जब तक सभी राजा मुक्त नहीं होंगे, वे भी बाहर नहीं जाएंगे। - जहांगीर ने यह शर्त स्वीकार की, लेकिन एक चाल चली—कहा कि जो राजा गुरु जी के वस्त्र को पकड़कर बाहर निकलें, वे ही मुक्त होंगे। 🧵 चोला और मुक्ति - गुरु जी ने 52 कलियों वाला विशेष...