अरावली: हमारी जीवनरेखा — बचाना हमारा कर्तव्य :- परमिंदर सिंह भाम्बा
अरावली पर्वतमाला केवल पत्थरों और पहाड़ों का समूह नहीं है; यह हमारी सांसों, हमारे जल स्रोतों और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा का आधार है। राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली तक फैली यह प्राचीन पर्वतमाला न केवल भौगोलिक महत्व रखती है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से अनगिनत लोगों की ज़िंदगियों से गहराई से जुड़ी हुई है। अरावली का हर पेड़, हर नाला और हर चट्टान हमारे अस्तित्व से जुड़ा है — इसलिए इसे बचाना कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्य कर्तव्य है।
अरावली थार के रेगिस्तान के फैलाव को रोकने में अहम भूमिका निभाती है और आसपास की उपजाऊ भूमि को रेगिस्तानीकरण से बचाती है। इन पहाड़ियों का भूजल पुनर्भरण में बड़ा योगदान है; वर्षा का पानी यहाँ संचित होकर धीरे-धीरे जमीन में रिसता है और कई गांवों व शहरों के लिए जीवनदायिनी जल उपलब्ध कराता है। अरावली की वनस्पति और जीव-जंतु जैव विविधता के महत्वपूर्ण आवास हैं, जो कई प्रजातियों के अस्तित्व को बनाए रखते हैं। इसके जंगल वायु को शुद्ध करते हैं, तापमान नियंत्रित करते हैं और कार्बन अवशोषण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करते हैं।
अरावली केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं देती, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक विरासत की संरक्षक भी है। यहाँ के मंदिर, किले और लोककथाएँ पीढ़ियों से जुड़ी हुई हैं और स्थानीय समुदायों की आजीविका का आधार हैं। किसान, चरवाहे और छोटे व्यवसाय अरावली के पानी और जंगलों पर निर्भर हैं; इन संसाधनों के बिना उनकी रोज़ी-रोटी और जीवनशैली अस्थिर हो जाएगी। शहरी क्षेत्रों के लिए अरावली हरित फेफड़े का काम करती है — दिल्ली और आसपास के शहरों में इसकी मौजूदगी वायु गुणवत्ता में सुधार और गर्मी के प्रभाव में कमी लाती है।
वर्तमान में अरावली पर सबसे बड़ा खतरा अंधाधुंध खनन और अवैध उत्खनन है, जिसने पहाड़ियों को काटकर भू-आकृति को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है। अवैध कटाई, अतिक्रमण और बेतरतीब शहरीकरण से वन क्षेत्र घट रहे हैं और जल स्रोत सूख रहे हैं; इन गतिविधियों से मिट्टी कटाव बढ़ता है, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं का जोखिम बढ़ता है और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो जाता है। यदि यही रुख जारी रहा तो आने वाली पीढ़ियाँ उस हरियाली और संसाधन से वंचित रह जाएँगी जिन पर आज हम निर्भर हैं।
खनिजों से मिलने वाला आर्थिक लाभ अस्थायी और सीमित होता है; इसके विपरीत स्वच्छ हवा, शुद्ध जल और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का मूल्य अनमोल और अपरिवर्तनीय है। मानव जीवन, समुदायों की भलाई और प्राकृतिक संतुलन किसी भी खनिज या आर्थिक लाभ से ऊपर हैं। किसी भी व्यापारी या निगम का यह अधिकार नहीं बनता कि वह लाभ के लिए हमारी जीवनरेखा को नष्ट कर दे; विकास तभी सार्थक है जब वह जीवन की रक्षा करे, न कि उसे खतरे में डाले।
सरकारों, संस्थाओं और नागरिकों का संयुक्त दायित्व है कि वे अरावली की रक्षा के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाएँ। अवैध खनन और अतिक्रमण के खिलाफ कानूनों का कड़ाई से पालन होना चाहिए और पर्यावरणीय प्रभावों का पारदर्शी मूल्यांकन अनिवार्य होना चाहिए। स्थानीय समुदायों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए और उनकी आजीविका के वैकल्पिक, टिकाऊ स्रोत विकसित किए जाने चाहिए। किसी भी विकास परियोजना को तभी अनुमति मिलनी चाहिए जब वह पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के स्पष्ट उपाय प्रस्तुत करे।
अरावली की रक्षा केवल सरकारी काम नहीं; यह हर नागरिक का काम है। जागरूकता बढ़ाने, स्थानीय संरक्षण पहलों में भाग लेने और अवैध गतिविधियों की सूचना देने से बड़ा फर्क पड़ता है। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से अरावली के महत्व को फैलाना चाहिए और युवा पीढ़ी को संरक्षण के लिए प्रेरित करना चाहिए। हमारी आवाज़, हमारी एकजुटता और हमारी सतत कार्रवाई ही अरावली को बचा सकती है।
तत्काल कदम जो उठाने चाहिए: 1) अवैध खनन पर रोक और प्रभावित इलाकों की पुनर्स्थापना; 2) वन संरक्षण और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण; 3) स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाकर वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान करना; 4) शहरी नियोजन में हरित बेल्ट और जल प्रबंधन को अनिवार्य करना; 5) नागरिक निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र मजबूत करना ताकि अवैध गतिविधियों पर त्वरित कार्रवाई हो सके।
अरावली हमारी जीवनरेखा है और इसे बचाना हमारी नैतिक, सामाजिक और कानूनी जिम्मेदारी है। हम शपथ लेते हैं कि किसी भी व्यापारी के आर्थिक हित के लिए हम अपनी हवा, पानी और भविष्य नहीं बेचेंगे। खनिजों की कीमत अस्थायी है; जीवन की कीमत अनमोल है। आज अगर हम अरावली की रक्षा नहीं करेंगे तो कल हमें अपनी गलतियों की कीमत चुकानी पड़ेगी। इसलिए आइए एकजुट हों, आवाज़ उठाएँ और अरावली को वह सम्मान और सुरक्षा दें जिसकी वह हकदार है — क्योंकि अरावली बचेगी, तो हम बचेंगे।

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